हिन्दू मुस्लिम की आस्था का प्रतीक विश्व प्रसिद्ध हुसैन टेकरी पर आयोजन की रिपोर्ट।

 


78 साल में पहली बार चेहल्लुम नही हो रहा, लॉक हुआ टेकरी परिसर

कोरोना के कारण इस बार आयोजन नही होगा

देश विदेश से आत है करीब 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु

रतलाम।(समीर खान की रिपोर्ट) विश्व प्रसिद्ध हुसैन टेकरी शरीफ सभी धर्मों का आस्था का प्रतीक है, यहां पर इस बार कोरोना के कारण 7  अक्टूबर को होने वाला चेहल्लूम का आयोजन नही किया गया जाएगा। माना जाता है कि यहां जलने वाली चूल( अंगारो) पर चलने से बुरी बलाओ से मुक्ति मिलती है।

कोविड-19 प्रोटोकॉल के कारण इस बार यहां कोई सार्वजनिक आयोजन नहीं होगा। वहीं प्रशासन ने बाहरी लोगों की एंट्री बंद कर दी है। हुसैन टेकरी परिसर के सभी रास्तो को सील कर दिया गया है परिसर में रहने वालों लोगो के पास जारी कर दिए गए है ताकि उन्हे आने जाने में परेशानी ना हो। जिस तरह लॉकडाउन में हुसैन टेकरी की सीमाएं सील थीं, ठीक उसी तरह चेहल्लुम के दो-तीन दिन पहले से 10 अक्टूबर तक सीमाएं दोबारा सील की जाएंगी।

हुसैन टेकरी शरीफ पर 1942 से ही 10 दिनी चैहल्लुम का आयोजन हो रहा है। इसमे विभिन्न तरह के धार्मिक जुलूस, मातमी जुलूस और मुख्य रूप से 10वें दिन चूल यानी खंदक का आयोजन होता है। इसकी व्यवस्था सुन्नी वक्फ प्रशासन करता है जबकि ज्यादातर आयोजन शिया समुदाय से संबंधित संगठन करते हैं। हर साल चेहल्लुम के 10 दिन में देशभर के विभिन्न हिस्सों से करीब 2 लाख लोग जियारत करने आते हैं। इस बार कोविड- 19 प्रोटोकॉल के तहत सारे धार्मिक आयोजन बंद हैं। हुसैन टेकरी शरीफ में पहली बार चेहल्लुम भी नहीं होगा।

हुसैनी मिशन मुंबई ले निरस्त किए सभी प्रोग्राम

हुसैन टेकरी पर इस बार होने वाले सभी प्रोग्राम निरस्त कर दिए गए है। इसी आधार पर हम भी सभी आयोजनकर्ता संगठनों को पत्र लिखकर कार्यक्रम निरस्ती की सूचना दे दी गई है। हुसैनी मिशन मुंबई के प्रमुख अफजल मुकादम ने बताया हमने इस बार कोरोना की वजह से छोटे प्रोग्राम करने से भी मना कर दिया है। चेहल्लुम में सबसे ज्यादा मुंबई, लखनऊ, कश्मीर, राजस्थान से श्रद्धालु आते हैं, उन्हें सूचना देकर वहां के संबंधित संगठनों को भी सूचित कर दिया गया है।

चेहल्लुम में 7 अक्टूबर को जलना थी चूल

इस बार 7 अक्टूबर को चूल जलना थी लेकिन इस बार कोई आयोजन नहीं होंगे। केवल स्थानीय श्रद्धालु ही रूटीन में मौजूदा स्थिति अनुसार दर्शन कर सकेंगे।

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