मेघनगर से सलीम शेरानी की रिपोर्ट।

रावण के पुतले के चक्कर में विभीषण का पुतला भी कुंभकरण के साथ हर साल दशहरा मैदान की नौटंकी बनता रहा। खुद भी जलता रहा और दूसरों को भी जलाते रहा। लेकिन इस बार कोरोना की महामारी ने रावण को और उसके साथियों को जलने से बचा लिया। यह परंपरा इस साल नहीं निभाई जाएगी। क्योंकि कोरोना की बीमारी ने रावण का रूप ले लिया है ।जब तक कोरोना रूपी रावण का दहन नहीं होगा, तब तक रावण के पुतले को आग नहीं लगाई जाएगी। कोरोना जैसी महामारी ने रावण को भी मात दे दी है ।रावण ने जो कृत्य किया था उस से बढ़कर लाखों लोगों की जान लेने वाली कोरोना बीमारी रावण से भी बढ़ गई ।
इसलिए शांति समिति की बैठक में यह तय किया हैकि, इस साल रावण दहन नहीं होगा ।रावण के पुतले को आग नहीं लगाई जाएगी और ना ही राम लक्ष्मण की सेना आएगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय में क्षेत्र के एसडीएम श्री एल एन गर्ग, तहसीलदार श्री शक्ति सिंह चौहान ,थाना प्रभारी श्री मीणा, प्रभारी टी आई श्री मालीवा ड और सीएमओ श्री विकास डावर ने नगर के गणमान्य नागरिकों,ओर पत्रकारों के बीच इस बात की घोषणा की, कि इस वर्ष रावण दहन नहीं किया जाएगा। रावण के पुतले को जलाने के लिए राम लक्ष्मण और सीता की सेना भी नहीं आएगी।
जो भी हो पुतलो को आग लगाने की परंपरा पर इस साल बंदिश जरूर लग गई है। लेकिन रावण रूपी इंसान घूम रहे हैं ,उनका दहन तो किया जाना चाहिए। उसके लिए राम, लक्ष्मण और सीता की सेना भी आना चाहिए। यह रावण कहां कहां है और कौन-कौन है। इसका चयन भी होना चाहिए। प्रशासन पुतलो को जलाने से रोक रही है। लेकिन वास्तविक रावण को जलाने में कब आगे आएगी,। यह सोचने का और मंथन करने का विषय है,,,,,,,
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