चातुर्मास कल्प प्रारंभ होने से पहले ही थांदला में धर्मचक्र तप की भव्य शुरुआत।


थांदला।
धर्म नगरी थांदला में हमेशा की तरह इस वर्ष भी चातुर्मास कल्प के पूर्व ही अध्यात्मिक माहौल चरम पर पहुँच गया है। परम पूज्य जैनाचार्य उमेशमुनिजी महाराज साहेब और उनके शिष्यों के सान्निध्य में इस बार 80 से अधिक तपस्वियों ने सामूहिक रूप से धर्मचक्र तप आरंभ किया है।

संघ अध्यक्ष भरत भंसाली की अध्यक्षता व संघ सचिव प्रदीप गादिया, संयोजक हितेश शाह और प्रवक्ता पवन नाहर के अनुसार महावीर भवन में सभी तपस्वियों के पारणें-बियासने की व्यवस्था श्रीसंघ द्वारा की जा रही है। साथ ही निवि, आयम्बिल खाता भी सक्रिय है, जिसकी व्यवस्था श्रीमती लता सोनी व श्रीमती अनुपमा श्रीश्रीमाल देख रही हैं।

धर्मचक्र तपस्या 34 दिन तक चलेगी, जिसमें तपस्वी क्रमशः 1 से 5 उपवास कर फिर घटाते हुए पारणा करेंगे। इस दौरान तपस्वी राख का पानी पीकर ही उपवास करेंगे, चौविहार का पालन करेंगे और प्रतिदिन ध्यान व जप करेंगे।

इसके अलावा गुरु पूर्णिमा पर पक्खी मंडल द्वारा 120 से अधिक उपवास व 20 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने पौषध-संवर तप किया। करीब 200 से अधिक तपस्वियों का सामूहिक पारणा महावीर भवन में हुआ, जिसका लाभ दिलीप कनकमलजी शाहजी व अंकुर-अंजल शाह परिवार ने लिया।

चातुर्मास प्रारंभ होते ही संतों के स्थिर विहार से धर्म जागृति का यह वातावरण पूरे चार माह तक जारी रहेगा।



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