आम्बूआ में लावारिस पशुओं की बढ़ती समस्या,प्लास्टिक खाने से मौत का सिलसिला जारी।
एक और बैल अचेत होकर गिरा,प्रशासन से गौशाला में आश्रय दिलाने की मांग।
ब्रजेश खंडेलवाल आम्बूआ।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा पशुपालन के लिए अनेक योजनाएं, गौशालाएं और कानून लागू किए जाने के बावजूद ज़मीनी स्तर पर हालात चिंताजनक बने हुए हैं। आम्बूआ क्षेत्र में लावारिस पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्लास्टिक खाने से इन पशुओं की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
पिछले दिनों अलग-अलग स्थानों पर चार गायों की मौत हो चुकी है। इसी क्रम में शनिवार शाम को आम्बूआ तिराहे पर एक बैल अचानक गिरकर अचेत हो गया। घटना की जानकारी मिलते ही पशु चिकित्सालय में पदस्थ जोहरसिंह डाबर ने स्थानीय लोगों की मदद से मौके पर उपचार किया। उन्होंने बताया—
👉 “लावारिस पशुओं की स्थिति बेहद खराब है। समय पर इलाज और उचित देखभाल न मिलने से इनकी जान पर खतरा बना रहता है। प्रशासनिक स्तर पर स्थायी व्यवस्था की जरूरत है।”
समाचार लिखे जाने तक उक्त लावारिस बैल का कोई वारिस सामने नहीं आया।
ग्रामवासी रामलाल पाटीदार ने कहा—
👉 “हम रोज़ देखते हैं कि ये जानवर कचरे में से प्लास्टिक खाते हैं और बीमार होकर मर जाते हैं। प्रशासन अगर इन्हें पास की गौशालाओं में भिजवाए तो इनकी जान भी बचेगी और सड़कों पर खतरा भी कम होगा।”
ग्रामवासियों का कहना है कि शासन की योजनाएं तभी सफल होंगी, जब लावारिस पशुओं को वास्तव में सुरक्षित आश्रय मिलेगा और गौशालाओं का सही उपयोग होगा।
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