त्रिशला नन्दन वीर की जय बोलो महावीर... से गुंजायमान हुआ स्वाध्याय भवन।
फारूख शैरानी मेघनगर।
पयूर्षण पर्व के पांचवें दिवस अणु स्वाध्याय भवन पर भगवान महावीर स्वामी का जन्मवाचन एवं विशाल धर्मसभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विदुषी पूज्या मुक्तिप्रभाजी म.सा., जो आचार्य श्री उमेशमुनिजी की शिष्या एवं प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी की आज्ञानुवर्तिनी हैं, ने की।
अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि पाप छिपाने से कभी छिपता नहीं है, बल्कि वह और प्रकट हो जाता है। जैसे रुई के ढेर में छुपाई गई छोटी सी चिंगारी सम्पूर्ण ढेर को जला देती है, उसी प्रकार छुपा हुआ पाप भी जीवन को नष्ट कर देता है। उन्होंने कहा कि पाप को प्रकट करने से आत्मा को शांति मिलती है और कर्मबंधन की तीव्रता कम होती है। कर्म सत्ता की अदालत में निर्दोष को दंड नहीं मिलता और दोषी बच नहीं सकता।
प्रवचन के उपरांत प्रश्नमंच का आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रवचन की प्रभावना पंकज वागरेचा परिवार द्वारा रखी गई।
दोपहर में भगवान महावीर स्वामी का जन्मवाचन किया गया। महासती शमप्रभाजी एवं प्रशमप्रभाजी ने महावीर स्वामी के पूर्व भवों का विस्तार से वर्णन प्रस्तुत किया। इस दौरान “त्रिशला नन्दन वीर की जय बोलो महावीर...” के जयघोष से संपूर्ण स्वाध्याय भवन गुंजायमान हो उठा।
दोपहर की प्रभावना मांगीलाल दिलीपकुमार खेमसरा परिवार द्वारा वितरित की गई।
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