कांग्रेस जिला अध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद कई जगहों पर विरोध


जावेद रशीद खान 
झाबुआ 

कांग्रेस संगठन में जिला अध्यक्षों की नई सूची जारी होने के बाद से कई जिलों में विरोध की तस्वीरें सामने आ रही हैं। इसी बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया पर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।

पटवारी ने अपने पोस्ट में कहा है कि जिन नेताओं को जिला अध्यक्ष नहीं बनाया गया है,उन्हें आगे संगठन में एडजस्ट किया जाएगा। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि पार्टी में सबको सम्मानजनक जिम्मेदारी दी जाएगी।

गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा जारी सूची पर जगह-जगह कार्यकर्ताओं और दावेदारों ने नाराज़गी जताई है। कुछ जिलों में खुलकर विरोध-प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं।नीचे आपको बताया गया है कि कौन-कौन नाराज़ हैं और कहाँ विरोध उजागर हुआ है, जिससे आपको कांग्रेस के संगठनात्मक माहौल की एक स्पष्ट तस्वीर मिल सके:

भोपाल में नाराज़गी के प्रमुख कारण और प्रमुख व्यक्ति

  • पूर्व जिलाध्यक्ष मोनू सक्सेना — उन्हें नाराज़ी का केंद्र बताया जा रहा है क्योंकि प्रवीण सक्सेना को शहर का जिला अध्यक्ष पद फिर से सौंप दिया गया है। सोशल मीडिया पर मोनू ने लिखा:

  • राहुल गांधी ने मांगा था संगठन सृजन,भोपाल में हुआ विसर्जन…

  • हेमंत पाटिल, जिला प्रवक्ता और राजीव गांधी पंचायत प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष — उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, जो नियुक्तियों के प्रति असंतोष का संकेत है .

अन्य जिलों में विरोध का स्वर

  • उज्जैन ग्रामीण — महेश परमार की नियुक्ति पर विरोध Ho रहा है .

  • सतना — सिद्धार्थ कुशवाहा को जिला अध्यक्ष बनाने पर असंतोष दिखा है .

  • बुरहानपुर — नियुक्ति के बाद अरुण यादव के समर्थकों द्वारा गुप्त बैठक की खबरें सामने आ रही हैं

  • अल्पसंख्यक बाहुल्य जिले — मुस्लिम शहर अध्यक्ष न बनाए जाने पर भी विरोध देखा गया है .

संगठनात्मक असंतोष के विश्लेषण हेतु अन्य बिंदु।

  • कुल 71 से अधिक जिलाध्यक्षों की सूची जारी हुई जिसमें:
    • 21 नेताओं को दोबारा मौका मिला है (जिनमें प्रवीण सक्सेना, अनोखी पटेल आदि शामिल हैं) .
    • 6 वर्तमान विधायक और 8 पूर्व विधायक को जिम्मेदारी सौंपी गई है — इससे आक्रोश बढ़ा है .

गौरतलब है कि जिन जगहों पर विरोध उभरा है, वहाँ अक्सर आवेदन प्रक्रिया न होकर नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शिता पर प्रश्न खड़े कर रही है .

 प्रमुख नाराज़ी

स्थान / व्यक्ति नाराज़गी का कारण
मोनू सक्सेना (भोपाल) दोबारा नियुक्ति पर असंतोष
हेमंत पाटिल पद मिलने के बाद इस्तीफा
उज्जैन ग्रामीण महेश परमार की नियुक्ति पर विरोध
सतना सिद्धार्थ कुशवाहा की नियुक्ति पर असंतोष
बुरहानपुर अरुण यादव समर्थकों की गुप्त बैठक
अल्पसंख्यक बाहुल्य जिलों मुस्लिम शहर अध्यक्ष न बनाए जाने पर विरोध
संगठन के भीतर विधायकों/पूर्व विधायकों को प्रमुख पद, दोबारा नियुक्तियाँ, पारदर्शिता की कमी।



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