आम्बूआ: लावारिस पशुओं की अनदेखी से दो गायों की मौत,प्रशासन मौन,,
ब्रजेश खंडेलवाल
आम्बूआ (अलीराजपुर) – कस्बे में लावारिस घूम रहे मवेशियों की समस्या अब जानलेवा बनती जा रही है। बुधवार को पुराने बस स्टैंड स्थित सब्जी मार्केट के पास बने पंचायत सेट के नीचे दो गायों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब स्थानीय निवासी सेतूल प्रजापत और संतोष चौहान दोपहर लगभग 2 बजे वहां पहुंचे, तो एक गाय मृत अवस्था में थी और दूसरी अंतिम सांसें ले रही थी।
वर्तमान में मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा प्रदेश में गोपालन को लेकर कई घोषणाएं की जा रही हैं, और आदेश जारी किया गया है कि लावारिस पशुओं को गौशालाओं में पहुंचाया जाए। इसके बावजूद आम्बूआ कस्बे की स्थिति विपरीत है, जहां 20 से 25 पशु दिन-रात सड़कों पर घूमते रहते हैं। कस्बेवासियों ने कई बार इस बारे में प्रशासन को व्हाट्सएप और अन्य माध्यमों से सूचित किया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इससे पहले भी, कस्बे में दो अन्य गायों की मौत हो चुकी है, जिन्हें ग्रामवासियों आनंद वर्मा, बबलू रावत एवं अन्य ने जेसीबी की मदद से दफनाया था। बुधवार को हुई घटना के बाद भी, समाचार लिखे जाने तक दोनों मृत गायें वहीं पड़ी रहीं, और प्रशासन की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पंचायत द्वारा बनाए गए पट्रे का सेट पूरी तरह लावारिस पड़ा है, जिसमें भंगार सामग्री जमा है, और यही स्थान लावारिस पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
प्रश्न खड़े होते हैं:
- किसकी जिम्मेदारी है इन पशुओं की देखरेख की?
- यदि पंचायत और प्रशासन मौन है, तो जनता किससे उम्मीद रखे?
- क्या गोसेवा सिर्फ भाषणों और घोषणाओं तक सीमित है?
यह सिर्फ पशु कल्याण का मुद्दा नहीं, बल्कि मानवीयता और प्रशासनिक उत्तरदायित्व का भी प्रश्न है।
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